हमारे देश में कई महान हस्तियों ने जन्म लिया है और अपनी सफलता के साथ-साथ हमारे देश को भी अपने द्वारा किए गए कार्यों से अन्य देशों के समक्ष एक उभरते हुए सितारे के रूप में प्रस्तुत किया है। आज के इस ज्ञानवर्धक लेख में हम आप सभी लोगों को भारत के एक महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में जानकारी प्रदान करने वाले हैं। इसके साथ ही हम आपको इनके महत्वपूर्ण योगदान के बारे में भी इसी लेख में जानकारी प्रदान करेंगे। इन्होंने अपनी 33 वर्षीय छोटी सी आयु में भारत में ही नहीं अपितु संपूर्ण विश्व में वह कारनामा करके दिखाया है, जो शायद ही कोई विलक्षण प्रतिभा का धनी कर पाता है। तो चलिए लेख में आगे बढ़ते हैं और महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन जी के संपूर्ण जीवन परिचय के बारे में रोचक जानकारी हासिल करते हैं।
श्रीनिवास रामानुजन जी का जन्म और परिवारिक परिचय | Birth and Family Introduction of Shri Ramanujan in Hindi
भारत के इस महान जाने-माने गणितज्ञ का जन्म 22 सितंबर वर्ष 1987 में तमिलनाडु के कोयंबटूर जिले के इरोड नामक गांव में हुआ था। इनका संबंध एक ब्राह्मण परिवार से था और इनके पिता का नाम श्रीनिवास इयंगर था। उनके पिता समीप के एक कपड़े की दुकान में मुनीमी का कार्य किया करते थे। इनकी माता का नाम कोमल तम्मल था और यह गृहणी का सारा कार्यभार देखती थी। जैसे ही श्रीनिवास जी की उम्र 1 वर्ष की हुई वैसे ही इनका संपूर्ण परिवार कुंभकोणम में आकर बस गया। 22 वर्ष की उम्र में इनका विवाह इन से 10 वर्षीय छोटी जानकी जी से इनके माता-पिता ने संपन्न किया।
रामानुजन जी की शिक्षा दीक्षा | Education of Ramanujan in Hindi
बचपन में श्रीनिवास रामानुजन की बुद्धि तीव्र नहीं थी। इन्हें अपने बचपन में कई बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा था और करीब 3 वर्ष की आयु होने तक इन्होंने बोलना तक नहीं सीखा था। इन सभी परेशानियों को देखते हुए उनके माता-पिता दुखी हुआ करते थे और जब इनकी उम्र 5 वर्ष की हुई तब इनका दाखिला कुंभकोणम के प्राथमिक विद्यालय में करा दिया गया।
श्रीनिवास रामानुजन जी का प्रारंभिक जीवन | Early life of Srinivasa Ramanujan in Hindi
पढ़ाई के समय श्री रामानुजन की रुचि केवल गणित के विषय में अत्यधिक हुआ करती थी और यह अन्य विषयों में ठीक नहीं थे। प्राइमरी परीक्षा में एक बार इन्होंने अपने जिले में टॉप किया था और यह केवल गणित विषय में ही इन्होंने किया था। श्री रामानुजन जी का प्रारंभिक जीवन बहुत ही सरल और सभ्य किस्म का था। उनके इस प्रतिभा को देखकर उनके सहपाठी और शिक्षक बहुत ही अधिक प्रभावित हुआ करते थे।
गणित के विषय में यह इतने मजबूत हो गए थे, कि इन्होंने स्कूल समय में ही कॉलेज की गणित भी अच्छे तरीके से पढ़ लिया था। मात्र 13 वर्ष की अल्पायु में इस महान गणितज्ञ ने एसएल लोनी द्वारा लिखित पुस्तक एडवांस ट्रिग्नोमेट्री के पूरी तरीके से मास्टर बन चुके थे और उन्होंने बहुत सारी प्रमेय बना दी थी। मात्र 17 वर्ष की आयु में इन्होंने बरनौली नंबरों की जांच की और दशमलव के 15 अंकों तक एलुयेर कॉन्टेंट की वैल्यू का आविष्कार किया।
स्कूल की परीक्षा में गणित और अंग्रेजी विषयों में अच्छे अंक प्राप्त करने वाले छात्र के रूप में इन्हें छात्रवृत्ति भी प्रदान की गई थी। श्रीनिवास रामानुजन ने अपनी रूचि केवल गणित विषय में अत्यधिक लगा दी थी और इन्होंने अन्य विषयों को पढ़ना तक छोड़ दिया था।
11वीं की परीक्षा में इन्होंने गणित में सर्वाधिक नंबर प्राप्त किए थे और अन्य विषयों में फेल हो गए थे। वर्ष 1960 में श्रीनिवास रामानुजन जी ने प्राइवेट कक्षा से 12वीं की परीक्षा दी और एक बार फिर वो परीक्षा में फेल हो गए। इसके बाद इन्होंने प्रारंभिक शिक्षा को पढ़ना ही बंद कर दिया और पढ़ाई छोड़ दी।
गणित के क्षेत्र में श्रीनिवास रामानुजन का महत्वपूर्ण योगदान | Contribution of Ramanujan in Mathematics in Hindi
मात्र 21 वर्ष की उम्र में उन्होंने करीब 120 गणित के सूत्र लिखे और फिर इसे प्रमाणित करने हेतु अंग्रेजी प्रोफेसर जी एच हार्डी के पास अपनी शोध को भेजा। जीएच हार्डी जी ने इनकी पूरी शोध पर अपना ध्यान दिया और फिर उनके शोध कार्यों से भी अत्यधिक प्रभावित हुए और उन्होंने श्री रामानुजन को कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में आने का सुनहरा अवसर प्रदान किया। इसके बाद वर्ष 1918 में श्री रामानुजन ने ट्रिनिटी कॉलेज की सदस्यता प्राप्त कर ली। इतनी कम उम्र में इतनी ढेर सारी उपलब्धियां हासिल करने वाले यह भारत के पहले नागरिक बने और इन्होंने अपने खोज का डंका भारत समेत अन्य देशों में भी बजा दिया।
श्रीनिवास रामानुजन जी की मृत्यु | Death of Shri Ramanujan in Hindi
तारीख 26 अप्रैल वर्ष 1920 को मात्र 33 वर्षीय श्रीनिवास रामानुजन जी का स्वर्गवास टीबी की बीमारी की वजह से हो गया। भारत के इस महान गणितज्ञ को खोने का शोक पूरे भारतवर्ष समेत अन्य देशों को भी हुआ, जहां पर उनकी लोकप्रियता बन चुकी थी। गणित की संख्या 1729 को रामानुजन नंबर के नाम से जाना जाता है। भारत के इस महान गणितज्ञ के जन्मदिन के शुभ अवसर पर संपूर्ण भारतवर्ष में आईटी दिवस और नेशनल मैथमेटिक्स दिवस के रूप में मनाया जाता है। श्रीनिवास रामानुजन जी के संपूर्ण जीवन के ऊपर वर्ष 2015 में एक फिल्म आई थी और उसका नाम “man who knew infinity” था।
निष्कर्ष :-
आज के इस महत्वपूर्ण लेख में हमने आप सभी लोगों को भारत के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन जी का संपूर्ण जीवन परिचय और उनका गणित में दिया हुआ महत्वपूर्ण योगदान से संबंधित सभी आवश्यक जानकारियां प्रदान की। हमें इनके संपूर्ण जीवन काल से कुछ कर दिखाने और बिना कुछ सोचे अपनी योग्यताओं को निखारने जैसे महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त होते हैं। आज हमारे देश के नवयुवक ऐसे महानुभाव के जीवन परिचय से अनभिज्ञ हैं और इसलिए हम चाहते हैं, कि आप सभी लोग आज के इस महत्वपूर्ण लेख को अपने मित्र जन और परिजन के साथ अवश्य साझा करें ताकि गणित के क्षेत्र में श्री निवास जी द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के बारे में पता चल सके।