संत रविदास जयंती का महत्व और इसका धार्मिक स्वरूप
संत रविदास जयंती भारत में भक्ति आंदोलन के महान संत गुरु रविदास जी की जयंती के रूप में मनाई जाती है। यह पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। गुरु रविदास ने समाज में फैली कुरीतियों, जातिवाद और छुआछूत के खिलाफ आवाज उठाई और समानता, प्रेम और भक्ति का संदेश दिया। इस दिन भक्तजन विशेष रूप से उनकी शिक्षाओं का स्मरण करते हैं और समाज में उनकी शिक्षाओं को प्रसारित करने का संकल्प लेते हैं।
गुरु रविदास जयंती 2025 कब है? (Guru Ravidas Jayanti 2025 Date & Time)
गुरु रविदास जयंती 2025 में 12 फरवरी (बुधवार) को मनाई जाएगी। यह दिन हिंदू पंचांग के अनुसार माघ पूर्णिमा के दिन आता है, जो पूर्णिमा तिथि के साथ ही मनाया जाता है।
गुरु रविदास जयंती 2025 का पंचांग:
- पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 11 फरवरी 2025, शाम 06:30 बजे
- पूर्णिमा तिथि समाप्त: 12 फरवरी 2025, शाम 08:45 बजे
इस दिन विशेष रूप से वाराणसी, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में विशाल शोभायात्राएँ और धार्मिक आयोजन होते हैं।
संत रविदास का जीवन परिचय (Sant Ravidas Ka Jivan Parichay)
गुरु रविदास जी एक महान संत, कवि और समाज सुधारक थे, जिन्होंने भक्ति और समानता पर आधारित समाज की स्थापना का संदेश दिया।
संत रविदास का जन्म (Ravidas Jayanti Date of Birth & Birthplace)
- गुरु रविदास जी का जन्म 1377 ईस्वी (संवत 1433) में हुआ था।
- उनका जन्म स्थान सीर गोवर्धनपुर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश) है।
- उनके माता-पिता का नाम कर्माबाई और रघु जी था।
गुरु रविदास बचपन से ही धार्मिक प्रवृत्ति के थे और समाज में फैली बुराइयों को समाप्त करने के लिए तत्पर रहते थे।
संत रविदास की मृत्यु (Guru Ravidas Date of Birth and Death)
- गुरु रविदास जी का निधन 1528 ईस्वी में हुआ था।
- उन्होंने लगभग 151 वर्षों तक समाज को अपने उपदेशों से आलोकित किया।
- उनके विचार और शिक्षाएँ आज भी लोगों को भक्ति और समानता का मार्ग दिखाती हैं।
संत रविदास की शिक्षाएँ और विचार (Sant Ravidas Teachings and Philosophy)
गुरु रविदास जी ने अपने उपदेशों के माध्यम से समाज में एकता, प्रेम, और धार्मिक सहिष्णुता को बढ़ावा दिया। उनके प्रमुख विचार इस प्रकार हैं:
जातिवाद और भेदभाव का विरोध
गुरु रविदास ने कहा कि ईश्वर ने सभी मनुष्यों को समान बनाया है और किसी को भी जाति या धर्म के आधार पर ऊँचा-नीचा नहीं समझा जाना चाहिए।
सच्ची भक्ति और ईश्वर की आराधना
उनका मानना था कि ईश्वर किसी मूर्ति या मंदिर में नहीं, बल्कि सच्ची भक्ति में बसते हैं।
‘बेगमपुरा’ – आदर्श समाज की अवधारणा
गुरु रविदास ने एक ऐसे समाज की कल्पना की थी, जहाँ किसी को कोई दुख न हो। इसे उन्होंने ‘बेगमपुरा’ नाम दिया, जिसका अर्थ है – “दुखों से मुक्त नगर”।
कर्म और सच्चाई पर बल
गुरु रविदास जी ने कहा कि “मनुष्य को उसके कर्मों से पहचाना जाता है, न कि उसकी जाति से।” उन्होंने यह भी कहा कि परिश्रम और ईमानदारी से कमाया गया धन ही सबसे पवित्र होता है।
संत रविदास के अनमोल विचार (Sant Ravidas Quotes in Hindi)
गुरु रविदास जी के उपदेश और दोहे आज भी लोगों को प्रेरणा देते हैं। उनके कुछ प्रसिद्ध दोहे और विचार इस प्रकार हैं –
- “मन चंगा तो कठौती में गंगा।”
👉 यदि मन शुद्ध और निर्मल है, तो हर स्थान गंगा के समान पवित्र है। - “जात-पात के फेर में उलझकर इंसान अपने असली मकसद को भूल जाता है।”
👉 मनुष्य को जात-पात से ऊपर उठकर प्रेम और भक्ति को अपनाना चाहिए। - “हर इंसान को उसके कर्म के अनुसार आंका जाना चाहिए, न कि उसकी जाति के अनुसार।”
👉 व्यक्ति की पहचान उसके कर्मों से होती है, जन्म से नहीं। - “सभी मनुष्यों में एक ही ईश्वर का प्रकाश है, तो फिर कोई छोटा या बड़ा कैसे हो सकता है?”
👉 सभी में परमात्मा का अंश है, इसलिए कोई छोटा-बड़ा नहीं होता। - “सच्ची भक्ति वही है, जो स्वार्थ और दिखावे से रहित हो।”
👉 भक्ति में दिखावा और अहंकार नहीं होना चाहिए।
संत रविदास जयंती के आयोजन और परंपराएँ (How is Guru Ravidas Jayanti Celebrated?)
गुरु रविदास जयंती के अवसर पर देशभर में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
शोभायात्राएँ और जुलूस
- वाराणसी, पंजाब, दिल्ली, राजस्थान और मध्य प्रदेश में बड़े पैमाने पर शोभायात्राएँ निकाली जाती हैं।
- इनमें संत रविदास के विचारों और उपदेशों को प्रस्तुत किया जाता है।
गुरुवाणी का पाठ और सत्संग
- इस दिन संत रविदास के दोहों और वाणियों का पाठ किया जाता है।
- भक्तजन संत रविदास के संदेशों पर प्रवचन सुनते हैं।
लंगर (भंडारा) का आयोजन
- सभी समुदाय के लोग मिलकर भोजन करते हैं, जिससे सामाजिक एकता को बढ़ावा मिलता है।
- यह उनके समानता के संदेश को साकार करता है।
संत रविदास मंदिरों में विशेष पूजा
- वाराणसी में स्थित श्री गुरु रविदास जन्मस्थली मंदिर में विशेष कार्यक्रम होते हैं।
- यहाँ हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
निष्कर्ष: गुरु रविदास जयंती से मिलने वाली सीख
गुरु रविदास जी केवल संत ही नहीं, बल्कि एक महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने अपने जीवन में समानता, प्रेम और भाईचारे का संदेश दिया। उनके विचार आज भी समाज में प्रेरणा देने का कार्य करते हैं।
👉 गुरु रविदास जयंती हमें यह सिखाती है कि जातिवाद और भेदभाव को छोड़कर सभी को समान दृष्टि से देखना चाहिए और भक्ति, प्रेम और कर्म के मार्ग पर चलना चाहिए।