रतन टाटा ने शादी क्यों नहीं की?
रतन टाटा जब लॉस एंजेलिस में थे तो उनको एक अमेरिकन लड़की से प्रेम हो गया था। वह दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थे और दोनों शादी करने वाले थे अचानक इंडिया से उनकी दादी का फोन आया दादी ने कहा कि बेटा इंडिया आ जाओ मैं बहुत ज्यादा बीमार हूँ। रतन टाटा का पालन पोषण उनकी दादी ने ही किया था। उन्होंने उस लड़की से भी इंडिया साथ जाने के लिए बोला, लेकिन लड़की के माता-पिता ने उसे भारत जाने से मना कर दिया, क्योंकि उस समय 1962 में इंडिया और चाइना का वार चल रहा था। इसी के डर से उन्होंने अपनी बेटी को वहां जाने से मना कर दिया और कुछ दिनों के बाद वहीं पर उसकी किसी दूसरे लड़के से शादी कर दी।
इधर रतन टाटा की दादी जी भी गुजर गईं और वह इंतजार करते रहे कि वह लड़की इंडिया आएगी, लेकिन वह नहीं आयी। उसके बाद उन्होंने जिंदगी में कभी शादी नहीं की उन्होंने अपने इंटरव्यू में भी ये बात बोली थी कि मैं जो बात बोलता हूँ उसे पूरा करता हूं। क्योंकि उन्होंने उस लड़की को वचन दिया था इसलिए जिंदगी में कभी शादी नहीं की।
अपने स्तर से नीचे उतरकर लोगों की मदद की
एक बार रतन टाटा गाड़ी से अपनी टीम के साथ नासिक से मुंबई की तरफ जा रहे थे तभी रास्ते में उनकी गाड़ी का टायर पंचर हो गया। गाड़ी एक पंचर बनाने वाली दुकान पर खड़ी करके, टीम के सभी सदस्य गाड़ी से उतर कर इधर उधर घूमने लगे। लेकिन रतन टाटा उस पंचर वाले के साथ बैठकर दूसरे टायर में हवा चेक कर रहे थे और पंचर बनाने में उसकी मदद कर रहे थे। जब टीम के लोगों ने कुछ देर तक उन्हें नहीं देखा तब उन्हें ढूंढने लगे। अचानक किसी की नजर पड़ी तो सभी लोग उनके पास पहुंचे और बोले कि आप रतन टाटा हैं आप इसकी हेल्प क्यों कर रहे हो यह अपने काम का पैसा तो ले रहा है। उन्होंने कहा कि अगर यह अपना काम 20 मिनट में करता है, और मेरी हेल्प कि वजह से यदि इसने 5-7 मिनट पहले ही काम कर लिया तो हमें उतना ज्यादा टाइम मिल जाएगा और हम मीटिंग में उतने समय पहुंच जाएंगे।
26 11 2008 मुंबई अटैक
मुंबई में 26 11 2008 को ताज होटल में अटैक हुआ था तब रतन टाटा ने अपने कर्मचारियों को पूरी सहायता दी जो उस में घायल हो गए थे उनको पूरी तरह से इलाज दिया , जिनकी डेथ हो गई थी उनके परिवार को कंपनसेशन मिला और उनके बच्चों के लिए स्कूलिंग की पूरी व्यवस्था और उनका पूरा खर्च उठाया। यहां तक कि उन्होंने वहां के आसपास के लोगों को जो रेडी वाले थे या जो होटल के आसपास लोग चाय, भेलपुरी , व रेडी लगाते थे उनको भी पूरी तरह से हेल्प की और फिर से उनका बिज़नेस खड़ा करने में मदद की।
रतन टाटा ने 20 दिन के अंदर सबको कंपनसेशन दे दिया। जबकि तब से 2008 से आज 2021 हो गया गवर्नमेंट आज तक 26 11 से पीड़ित सभी लोगों को मुआवजा नहीं दे पाई है। एक रतन टाटा थे जिन्होंने 20 दिन में compensate कर दिया और गवर्नमेंट से compensation के लिए लोग आज भी चक्कर काट रहें हैं।
26/11 अटैक के बाद Harvard University में एक मीटिंग में डिसकशन हुआ कि हम लोग बच्चों crisis management सिखाते हैं, लेकिन 26 11 में तो सबसे बड़ा crisis था। वहाँ के मैनेजमेंट ने सोचा क्यों न इसकी case study की जाये। तब उन्होंने अपने दो प्रोफेसर को इंडिया भेजा कि ताज होटल के कर्मचारी इतने कमिटेड कैसे थे? यहां पर एम्पलाई कैसे अपनी जान की फिक्र किए बिना लोगों को बचाने में लगे हुए थे जबकि यह कोई आर्मी के जवान तो थे नहीं! यहां तक कि जो नए आए थे, अभी 1 साल भी नहीं हुए थे वह भी अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाने में लगे थे। आपको बता दे की उस समय वहां के जो जनरल मैनेजर थे उनकी वाइफ और बच्चे भी होटल में ठहरे हुए थे और आतंकवादियों ने उन्हें भी गोली मार दी थी। ये बात मैनेजर को ये बात पता चलने के बावजूद वो होटल में फँसे लोगों को बाहर निकालने में उनकी मदद कर रहे थे। वहां का हर स्टाफ अपनी जान की परवाह किए बिना दूसरों की मदद कर रहा था।
रतन टाटा से इंटरव्यू के दौरान जब उन्होंने पूछा कि आपके होटल का प्रत्येक कर्मचारी लोगों को बचाने के लिए अपनी जान देने को तैयार था। इसके लिए आप क्या करते हैं? तो उन्होंने कहा कि हम अपने कर्मचारी को रखने से पहले उनका चरित्र और उनकी ईमानदारी को चेक करते हैं।
देश के प्रति वफादार
ताज होटल को ठीक करने के लिए रतन टाटा ने टेंडर निकाला जिसमें दुनिया भर से लोगों ने अप्लाई किया तभी पाकिस्तान के भी कुछ लोग टेंडर अप्लाई कर दिए थे और वह टाटा से मिलने के लिए आए थे। जब रतन टाटा को पता चला कि कुछ लोग पाकिस्तान से उनसे मिलने के लिए आये हैं , तो उन्होंने उनसे मिलने को सीधे मना कर दिया। क्योंकि आतंकवादी (अजमल कसाब) जिसने ताज होटल मुंबई पर हमला किया था, वह भी पाकिस्तान का ही था।
जब रतन टाटा ने उनसे मिलने से मना कर दिया तब वह दोनों दिल्ली गए और उस समय एक कैबिनेट मिनिस्टर से मिले। उन्होंने मिनिस्टर से टेंडर के लिए रतन टाटा से सिफारिस करवाई। रतन टाटा ने कहा कि मैं अपने देश के साथ गद्दारी नहीं कर सकता और टेंडर देने से सीधे मना कर दिया।
वादा के पक्के
एक बार रतन टाटा को एक कॉलेज फंक्शन में इनवाइट किया गया। इसके लिए रतन टाटा वहां गए तो उन्हें देखने के लिए बच्चों की भीड़ उमड़ पड़ी और कॉलेज में बच्चों में अफरा-तफरी मच गई। उस अफरा-तफरी में एक बच्ची गिर गई और उसको चोट आ गई। रतन टाटा ने जब ये सब देखा तो उन्होंने कहा कि आप लोग परेशान मत हों। मैं सब से मिलकर ही वापस जाऊँगा। फंक्शन व मीटिंग में समय ज्यादा लगने की वजह से शाम हो गई और उसके बाद उनका फ्लाइट का टाइम भी हो गया था, लेकिन उन्होंने फ्लाइट कैंसिल करवा दिया। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने अपनी फ्लाइट क्यों कैंसिल करवा दी, तो उन्होंने कहा कि मैंने बच्चों से मिलने का वादा किया था और उनसे मिलकर ही जाऊंगा।
अपने कर्मचारी के हितों का ध्यान रखना
एक बार टाटा मोटर्स में लेबर यूनियन और मैनेजर में आपस में बहस हो गई लेबर यूनियन अड़ गई कि उन्हें बोनस चाहिए, लेकिन मैनेजमेंट तैयार नहीं था। इस वजह से उनमें आपस में बहुत ज्यादा बहस हो गई और हाथापाई तक की नौबत आ गई। जब रतन टाटा को इसके बारे में पता चला तो वह तुरन्त वहाँ गए और जाकर लेबर यूनियन के साथ हड़ताल पर बैठ गए। उन्होंने यूनियन का सपोर्ट किया और कहा कि हां बोनस तो आपको मिलना चाहिए।
रतन टाटा ने मैनेजमेंट कहा कि इनको बोनस दे दो। मैनेजमेंट ने बोला कि श्रीमान इन लोगों को अभी बोनस नहीं दे सकते हैं। लेकिन रतन टाटा ने कहा कोई बात नहीं इन्होने मेहनत की है तो इनको इनका हक़ तो मिलना ही चाहिए। लेबर यूनियन सारी बातें सुन रहा था और अंत में यूनियन ने खुद ही बोनस लेने से मना कर दिया, क्योंकि कंपनी का मालिक खुद उनके साथ बैठकर उनका सपोर्ट कर रहा था इससे बड़ा बोनस और क्या हो सकता है।
अपनी की हुई गलतियों से सीखना
गलतियों से सीखना तो कोई रतन टाटा से ही सीखे। टाटा नैनो के बाद टाटा ग्रुप को काफी नुकसान हुआ था क्योंकि टाटा नैनो प्रोजेक्ट फेल हो गया था। तब रतन टाटा के मन में विचार आया कि क्यों न कुछ छोटे – छोटे प्रोजेक्ट्स बनाया जाये और जो प्रोजेक्ट फेल होता है उसे कुछ अवार्ड दिया जाए। इससे बड़े फेलियर से बचा जा सकता है। तब उन्होंने अपने एम्प्लोयी से बोला जो सबसे अच्छा failure project बनाएगा उसको कंपनी की तरफ से इनाम दिया जाएगा। और इस आईडिया से उन्हें काफी प्रोजेक्ट में हेल्प भी मिली।
महान दानी
रतन टाटा एक ऐसे महान पुरुष हैं जो सदैव दूसरों की खुशी के लिए जीते हैं। शायद ही आप लोगों को पता होगा कि रतन टाटा अपनी कंपनी की बचत का 66% परसेंट हिस्सा चैरिटेबल ट्रस्ट में दे देते हैं। और किसी को पता तक नहीं चलता वरना यहाँ तो लोग किसी को एक रूपया भी दान देते हैं तो उसका ऐसा प्रचार करते हैं जैसे की लाखों रुपये दान कर दिए हों। यही कारण है कि रतन टाटा की गिनती देश के टॉप अमीरों में नहीं होती जबकि टाटा से बड़ा बिज़नेस शायद ही किसी का होगा।
अमीर होने के बावजूद जमीन से जुड़े रहे
एक बार रतन टाटा एक सेमिनार फंक्शन में गए, फंक्शन खत्म होने के बाद लोगों ने एक फोटो सेशन के लिए उनसे इच्छा प्रकट की। अब सारे लोग लाइन में खड़े हो गए और रतन टाटा के लिए आगे एक कुर्सी लगाई गई। उन्होंने कुर्सी को हटा दिया, लोगों ने सोचा कि अब वो सबसे आगे खड़े होंगे, लेकिन वो सबसे आगे जाकर पहली पंक्ति के लोगों के साथ बैठ गए और फोटो खींचने के लिए कहा। यह देखकर सब लोग आश्चर्यचकित रह गए।
जब इंफोसिस के चेयरमैन श्री नारायण मूर्ति को रतन टाटा को लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड देने के लिए बोला गया तो नारायणमूर्ति ने रतन टाटा के पैर छुए। कंपटीटर भी जिसके पैर छूते हैं उस महान शख्स को रतन टाटा कहते हैं।