Navratri Festival Information in Hindi

नवरात्रि 2025: शक्ति की उपासना का पर्व

नवरात्रि हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसमें मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। यह पर्व वर्ष में चार बार आता है, लेकिन मुख्य रूप से चैत्र नवरात्रि (Navratri Chaitra) और शारदीय नवरात्रि को विशेष महत्व दिया जाता है। नवरात्रि 2025 में भी श्रद्धालु उपवास रखेंगे, भक्ति और साधना में लीन रहेंगे और मां दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों की आराधना करेंगे। यह पर्व शक्ति, साधना और श्रद्धा का प्रतीक है। इस दौरान भक्तगण विशेष रूप से व्रत, पूजा-पाठ, और मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने के लिए हवन-यज्ञ का आयोजन करते हैं। यह पर्व जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति का अवसर प्रदान करता है।

नवरात्रि कब है? (Navratri kab hai)

नवरात्रि वर्ष में दो बार मनाई जाती है:

  • चैत्र नवरात्रि 2025: मार्च-अप्रैल में, जो हिंदू नववर्ष के साथ जुड़ी होती है और वसंत ऋतु के आगमन का संकेत देती है।
  • शारदीय नवरात्रि 2025: सितंबर-अक्टूबर में, जो वर्ष की सबसे प्रसिद्ध नवरात्रि होती है और शारदीय मौसम की शुरुआत को दर्शाती है।

शारदीय नवरात्रि की समाप्ति के बाद दशहरा (विजयदशमी) मनाया जाता है, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था, और यह पर्व धर्म की विजय का संदेश देता है।

नवरात्रि स्थापना (Navratri sthapna)

नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना या कलश स्थापना की जाती है। इस अनुष्ठान में:

  • एक मिट्टी के पात्र में जौ बोए जाते हैं, जिसे जीवन और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है।
  • कलश में जल भरकर आम के पत्तों और नारियल से ढंका जाता है, जो सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।
  • देवी दुर्गा का आह्वान किया जाता है और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है।

घटस्थापना का विशेष महत्व है क्योंकि यह नवरात्रि की पूजा का प्रारंभिक चरण होता है और इसे सही विधि से करने पर पूरे नौ दिनों तक सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है।

9 दिनों की देवी पूजा (Navratri Day 1 to 9 Goddess)

हर दिन मां दुर्गा के एक अलग स्वरूप की पूजा की जाती है। 9 days of Navratri Devi names इस प्रकार हैं:

  1. शैलपुत्री – हिमालय की पुत्री, शक्ति का प्रतीक। इस दिन शुद्ध घी का भोग लगाया जाता है।
  2. ब्रह्मचारिणी – तपस्या की देवी, संयम और साधना का प्रतीक। मिश्री और पंचामृत का भोग चढ़ाया जाता है।
  3. चंद्रघंटा – साहस और शक्ति का स्वरूप। दूध और खीर का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  4. कूष्माण्डा – सृष्टि की रचनाकार, ऊर्जा की देवी। मालपुए का भोग लगाया जाता है।
  5. स्कंदमाता – ज्ञान और माता-पुत्र के प्रेम का प्रतीक। केले का भोग अर्पित किया जाता है।
  6. कात्यायनी – दानवों के संहार करने वाली। शहद का भोग लगाया जाता है।
  7. कालरात्रि – बुरी शक्तियों का नाश करने वाली। गुड़ का भोग अर्पित किया जाता है।
  8. महागौरी – शांति और करुणा की देवी। नारियल का प्रसाद चढ़ाया जाता है।
  9. सिद्धिदात्री – सभी सिद्धियों को प्रदान करने वाली। तिल और अन्य मीठे व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।

नवरात्रि के 9 रंग (Navratri colours)

हर दिन विशेष रंग पहना जाता है, जो देवी के स्वरूप से जुड़ा होता है:

  1. पहला दिन – पीला (सकारात्मकता और ऊर्जा का प्रतीक)
  2. दूसरा दिन – हरा (विकास और समृद्धि का प्रतीक)
  3. तीसरा दिन – ग्रे (शक्ति और संतुलन का प्रतीक)
  4. चौथा दिन – नारंगी (उत्साह और ऊर्जा का प्रतीक)
  5. पांचवां दिन – सफेद (शांति और पवित्रता का प्रतीक)
  6. छठा दिन – लाल (साहस और शक्ति का प्रतीक)
  7. सातवां दिन – नीला (सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक)
  8. आठवां दिन – गुलाबी (प्यार और करुणा का प्रतीक)
  9. नवां दिन – बैंगनी (ज्ञान और आध्यात्मिकता का प्रतीक)

10 Points on Navratri (नवरात्रि पर 10 मुख्य बिंदु)

  1. नवरात्रि का अर्थ है ‘नौ रातें’, जिसमें मां दुर्गा की उपासना की जाती है।
  2. यह शक्ति, साधना और भक्ति का पर्व है, जिसमें आत्मशुद्धि का अवसर मिलता है।
  3. मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है, जो विभिन्न शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।
  4. उपवास और व्रत का विशेष महत्व है, जो शरीर और आत्मा को शुद्ध करने में सहायक होता है।
  5. घटस्थापना (Navratri sthapna) की जाती है, जो शक्ति के आह्वान का प्रतीक है।
  6. अष्टमी और नवमी को कन्या पूजन किया जाता है, जिसमें कन्याओं को देवी का रूप मानकर भोजन कराया जाता है।
  7. गरबा और डांडिया का आयोजन किया जाता है, जो नृत्य और भक्ति का प्रतीक है।
  8. रामलीला का मंचन होता है, जो भगवान श्रीराम की विजयगाथा को दर्शाता है।
  9. नौ दिनों तक भक्ति और साधना का माहौल बना रहता है, जिससे मानसिक शांति प्राप्त होती है।
  10. दशहरा (विजयदशमी) के दिन रावण दहन किया जाता है, जो सत्य की जीत का संदेश देता है।

नवरात्रि की कहानी (Navratri story) और इसका महत्व

नवरात्रि पर्व के पीछे कई पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध कथा महिषासुर वध की है। जब महिषासुर नामक राक्षस ने देवताओं पर अत्याचार बढ़ा दिया, तब भगवान विष्णु, शिव और ब्रह्मा ने देवी दुर्गा को शक्ति प्रदान की। मां दुर्गा ने महिषासुर का वध करने के लिए नौ दिनों तक युद्ध किया और दसवें दिन उसे पराजित किया। इसीलिए नवरात्रि नौ दिनों तक मनाई जाती है, और दसवें दिन विजयदशमी का उत्सव होता है।

निष्कर्ष

नवरात्रि सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि यह आत्मशुद्धि, शक्ति साधना और भक्ति का समय है। यह हमें यह संदेश देता है कि अगर हमारी भक्ति और संकल्प मजबूत हैं, तो कोई भी बाधा हमें सफलता प्राप्त करने से नहीं रोक सकती। यह पर्व शक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम है।

जय माता दी! 🙏

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