जिन्दगी में अगर कुछ बड़ा करना है तो अपनी जगह बदलनी पड़ेगी।
पुराने समय में हमारे देश में हमारे देश में लोग पशु – पक्षी पालने के बहुत शौकीन हुआ करते थे, और उनसे वो अलग – अलग तरीके के काम भी लेते थे। जैसे पशुओं से खेती के साथ – साथ भाड़ा ढोना , सामान एक जगह से दूसरे जगह पर ले जाना , तथा सवारी के काम में लाते थे। ऐसे ही पशु – पक्षियों को सिखा – पढ़ाकर उनके द्वारा सन्देश भेजना व गुप्तचर का काम करवाना और उनकी आपस में कुश्ती करवाकर मनोरंजन के काम में भी लाते थे। कुछ देशों में तो आज भी लोग पशुओं की लड़ाई करवाकर मनोरंजन करते हैं। ये सभी पशु – पक्षी उस समय के लोगों की जिंदगी का हिस्सा हुआ करते थे। जैसे की आपने इतिहास में महाराणा प्रताप के घोड़े “चेतक” का नाम तो सुना ही होगा। ऐसे ही उस समय के राजा हाथी , घोड़े , तोता , कबूतर , बाज व अन्य पशु – पक्षी अलग – अलग उपयोग के लिए पालते थे।
दोस्तों आज मैं आपको एक ऐसी कहानी बता रहा हूँ जो की बहुत पुराने समय की है। कहानी यह है कि उस समय किसी एक राज्य के राजा , दूसरे राज्य के अपने मित्र राजा के यहाँ मिलने के लिए गए। जब राजा अपने मित्र से मिलकर वापस चलने लगे तो उनकी नजर बाज पक्षी के 2 नन्हें बच्चों पर पड़ी जो देखने में बहुत ही सुन्दर थे और सभी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे। अब राजा से रहा न गया और उन्होंने उनसे वह बाजों का जोड़ा लेने की इच्छा प्रकट की। मित्र राजा ने उन्हें उपहार स्वरूप वो दोनों बच्चे उन्हें भेंट कर दिया।
अब राजा उन बच्चों को लेकर अपने राज्य वापस आ जाते हैं। कुछ दिनों बाद बाज थोड़े बड़े हुए तो उनको ट्रेंड करने के लिए एक ट्रेनर की व्यवस्था की जाती है। अब ट्रेनर उन बाजों को मैदान में ले जाता है और उन्हें सिखाता है। लेकिन जब वह उन दोनों को आसमान में उड़ने का इशारा करता तो उनमे से एक बाज तो ऊपर ऊँचाई पर जाकर उड़ता और कलाबाजियाँ करता था , वहीँ दूसरा वाला बाज पास में खड़े वृक्ष की एक डाली पर जाकर बैठ जाता था। ट्रेनर की लाख कोशिशों के बावजूद वह उस डाली को छोड़ने को तैयार ही न था।
कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। जहाँ एक बाज ने उड़ने की अच्छी खासी महारथ हासिल कर ली थी वहीँ दूसरा वाला उस पेड़ की डाली पर बैठकर रेस्ट करता रहता था। ऐसा लगता था कि वह पेड़ की डाली से बांध दिया गया है। अब जब कुछ दिन बीत गए तो राजा ने उस ट्रेनर को एक दिन अपने दरबार में बुलाया और बाजों के बारे में जानकारी देने को कहा। ट्रेनर ने सारा किस्सा राजा को बताया। राजा ने आदेश दिया की कहीं से भी जाकर दूसरा ट्रेनर ढूँढो, कुछ भी करके दूसरे बाज को भी ट्रेन करो। उन्होंने अपने पूरे राज्य में ढिढोरा पिटवा दिया कि जो भी इस बाज के बच्चे को ऊँचाई पर उड़ना सिखाएगा (ट्रेंड कर देगा) उसे राजा के द्वारा इनाम दिया जायेगा।
यह सुनकर एक गरीब किसान भी राजा के दरबार में पहुँचा और उसने बाज को ट्रेनिंग देने की इच्छा जाहिर की। अब ट्रेनर उस किसान को साथ में लेकर उसी मैदान में पहुंच गया जहाँ वह बाजों को ट्रेनिंग दिया करता था। बाजों का जोड़ा किसान के हवाले करके ट्रेनर वापस चला जाता है। २-३ दिनों तक किसान ने कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। उसने देखा कि एक बाज उड़ने के बजाय पेड़ की एक ही डाली पर बार – बार जाकर बैठ जाता है। बहुत सोचने के बाद उसके दिमाग में एक विचार आया। अगले दिन सुबह ट्रेनिंग के लिए जाते समय वह घर से अपने साथ कुल्हाड़ी लेकर गया और वहां पहुँचकर सबसे पहले वह डाली ही काट दिया जिस पर वह बाज बैठता था। अब उसने बाजों को उड़ने का इशारा किया।
इस बार किसान को चमत्कार दिखाई दिया , उसने देखा कि दूसरा बाज भी पहले वाले के साथ – साथ आसमान में ऊँची उड़ान भर रहा है। किसान खुशी से दौड़कर उस ट्रेनर के पास गया और दिखाकर बोला – देखो ! दोनों आसमान में उड़ रहे हैं। ट्रेनर ने आश्चर्य से पूछा , ये तुमने कैसे कर दिया ? मैं अपनी पूरी जिन्दगी पक्षियों को ट्रेनिंग देता रहा लेकिन मैं उस बाज को उड़ा नहीं सका और तुमने मात्र २-३ दिनों में ही ये कर दिखाया। किसान ने कहा – मैंने उस डाली को ही काट दिया जिस पर वह बार – बार बैठता था। किसान को राजा के दरबार में ले जाया गया। राजा की खुशी का ठिकाना नहीं था और उसने किसान को बहुत सारा इनाम दिया।
दोस्तों इससे हमें यह शिक्षा मिलती है कि जिन्दगी में अगर हमें ऊंचाइयों पर जाना है तो Comfort Zone को छोड़ना पड़ता है। अर्थात अपनी जगह को छोड़ना पड़ता है।