Mahatma Gandhi and A Little Girl Motivational Story in Hindi

महात्मा गांधी और छोटी लड़की की प्रेरक कहानी

एक बार की बात है, महात्मा गांधी से मिलने के लिए एक महिला अपनी छोटी बेटी के साथ उनके आश्रम आई। वह महिला गांधीजी से बहुत प्रभावित थी और जानती थी कि उनकी बातों का असर सब पर होता है। उसने गांधीजी से नम्रतापूर्वक प्रार्थना की और कहा,
बापू, मेरी बेटी को समझाइए कि वह मिठाई खाना बंद कर दे। वह इसे जरूरत से ज्यादा खाती है, और मैं चाहती हूं कि वह अपनी सेहत का ध्यान रखे। लेकिन वह मेरी बात नहीं सुनती। आपकी बात वह जरूर मानेगी।

महात्मा गांधी महिला की बात ध्यान से सुनते रहे। कुछ पल सोचने के बाद उन्होंने गंभीरता से कहा,
आप अपनी बेटी को तीन दिन बाद लेकर आइए।

महिला को यह सुनकर थोड़ा अचरज हुआ। उसने सोचा कि इतनी सी बात कहने में आखिर तीन दिन का इंतजार क्यों करना पड़ रहा है? लेकिन वह गांधीजी का आदर करती थी, इसलिए बिना कुछ पूछे वहां से चली गई।

महिला का इंतजार और तीन दिन बाद की मुलाकात

महिला ने गांधीजी के कहे अनुसार तीन दिन का इंतजार किया। इस दौरान, वह सोचती रही कि शायद गांधीजी किसी खास तरीके से उसकी बेटी को समझाना चाहते हैं।

तीन दिन बाद, वह अपनी बेटी को लेकर फिर आश्रम पहुंची। इस बार गांधीजी ने बच्ची को अपने पास बुलाया। उन्होंने बहुत प्यार से बच्ची से कहा,
बेटा, मिठाई खाना बंद कर दो। यह तुम्हारे स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है।

बच्ची ने गांधीजी की बात ध्यान से सुनी और तुरंत सिर हिलाते हुए हामी भर दी। गांधीजी के शब्दों ने बच्ची पर तुरंत प्रभाव डाला।

महिला का आश्चर्य और गांधीजी का उत्तर

महिला यह देखकर चकित रह गई कि गांधीजी ने इतनी सरल बात कहने के लिए तीन दिन का इंतजार क्यों किया। उसने झिझकते हुए गांधीजी से पूछा,
बापू, यह बात आप तीन दिन पहले भी तो कह सकते थे। इसके लिए हमें तीन दिन तक इंतजार क्यों करवाया?”

गांधीजी मुस्कुराए और शांत स्वर में बोले,
तीन दिन पहले मैं खुद मिठाई खा रहा था। मैं किसी और को यह सलाह कैसे दे सकता था, जब मैं खुद उस आदत का पालन नहीं कर रहा था? पहले मैंने खुद मिठाई खाना छोड़ा, ताकि मैं ईमानदारी से और सच्चे मन से तुम्हारी बेटी को यह सलाह दे सकूं।

महात्मा गांधी का संदेश

महात्मा गांधी का यह उत्तर सुनकर महिला अवाक रह गई। उसे अहसास हुआ कि गांधीजी क्यों पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा का स्रोत थे। उनके लिए उपदेश देना केवल शब्दों का खेल नहीं था; वे पहले खुद उन मूल्यों को जीते थे, जिनका वे दूसरों से पालन करवाना चाहते थे।

कहानी से शिक्षा (Moral)

  1. स्वयं को बदले बिना दूसरों को बदलने की कोशिश करें: यदि आप किसी को प्रेरित करना चाहते हैं, तो सबसे पहले खुद उस आदत को अपनाएं।
  2. ईमानदारी और सत्यनिष्ठा जरूरी हैं: आपकी सलाह का असर तभी होगा जब आपके कार्य और शब्द एक समान होंगे।
  3. नेतृत्व का अर्थ उदाहरण प्रस्तुत करना है: सच्चा नेतृत्व दूसरों को निर्देश देने से पहले खुद अनुकरणीय बनने में निहित है।
  4. धैर्य और दृढ़ता: दूसरों को प्रेरित करने से पहले आत्म-परिवर्तन के लिए समय और प्रयास लगाना आवश्यक है।

निष्कर्ष

महात्मा गांधी का यह दृष्टिकोण हमें जीवन में सच्चाई और अनुशासन की अहमियत सिखाता है। उनका यह छोटा-सा कदम इस बात का बड़ा उदाहरण है कि प्रभावी उपदेश और प्रेरणा के लिए पहले खुद को सही राह पर लाना आवश्यक है। यही वह गुण है जो उन्हें एक महान नेता बनाता है।

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