प्रारंभिक जीवन और परिवार
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को ब्रिटिश भारत के कराची (वर्तमान पाकिस्तान) में हुआ। उनके पिता का नाम के. डी. आडवाणी और माता का नाम ज्ञानी देवी था। आडवाणी का परिवार एक हिंदू सिंधी समुदाय से ताल्लुक रखता था। बचपन से ही वे धार्मिक और सामाजिक मूल्यों के प्रति प्रतिबद्ध थे। विभाजन के समय, उनका परिवार भारत आकर बस गया, जहां उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय सेवा और राजनीति के लिए समर्पित किया।
शिक्षा और प्रारंभिक जीवन
लाल कृष्ण आडवाणी की प्रारंभिक शिक्षा कराची के सेंट पैट्रिक्स हाई स्कूल में हुई। उन्होंने कराची में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मुंबई विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई की। बचपन से ही वे अध्ययनशील और अनुशासित थे, जो उनके जीवन के हर पहलू में झलकता है। विभाजन के बाद भारत आने पर, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ अपने जुड़ाव को गहरा किया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़ाव
1947 में, भारत विभाजन के बाद, आडवाणी का परिवार भारत आकर बस गया। इसी दौरान, वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सक्रिय सदस्य बन गए। आरएसएस के माध्यम से उन्होंने अनुशासन, संगठन, और राष्ट्रीयता की भावना को आत्मसात किया। वे संघ के प्रचारक के रूप में काम करने लगे और राजस्थान में कोटा और जोधपुर जैसे स्थानों पर कार्य किया।
राजनीतिक यात्रा का आरंभ
लाल कृष्ण आडवाणी की राजनीतिक यात्रा भारतीय जनसंघ से शुरू हुई, जिसकी स्थापना 1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने की थी। आडवाणी ने पार्टी के संगठन को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभाई। वे 1957 में जनसंघ के सचिव बने और पार्टी की विचारधारा को जनता तक पहुंचाने के लिए अथक प्रयास किए।
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की स्थापना और योगदान
1977 में जनता पार्टी के गठन के बाद, आडवाणी ने पार्टी के भीतर एक प्रमुख भूमिका निभाई। 1980 में जब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) का गठन हुआ, तो वे इसके संस्थापक सदस्यों में से एक थे। अटल बिहारी वाजपेयी के साथ मिलकर उन्होंने पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। उनकी रणनीतियां और संगठनात्मक कौशल पार्टी को मजबूत बनाने में सहायक साबित हुए।
राम जन्मभूमि आंदोलन
1980 और 1990 के दशक में, लालकृष्ण आडवाणी राम जन्मभूमि आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक बने। 1990 में उन्होंने राम रथ यात्रा शुरू की, जिसने भारतीय राजनीति को नई दिशा दी। इस आंदोलन ने बीजेपी को एक प्रमुख राष्ट्रीय पार्टी के रूप में उभरने में मदद की। हालाँकि, इस आंदोलन के कारण उन्हें आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन यह उनकी राजनीतिक पहचान का महत्वपूर्ण हिस्सा बन गया।
उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल
1998 से 2004 तक अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में आडवाणी ने गृह मंत्री और उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करने और आतंकवाद के खिलाफ कठोर कदम उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी प्रशासनिक क्षमता और निर्णय लेने की शैली ने उन्हें एक कुशल राजनेता के रूप में स्थापित किया।
विवाद और आलोचनाएँ
अपने राजनीतिक जीवन में, आडवाणी कई विवादों से भी घिरे। बाबरी मस्जिद विध्वंस और हिंदुत्व की राजनीति को लेकर उन्हें बार-बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। लेकिन उनके समर्थकों का मानना है कि उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय हित को प्राथमिकता दी।
साहित्य और लेखन
आडवाणी ने अपनी आत्मकथा “मेरा देश मेरा जीवन” लिखी, जिसमें उन्होंने अपने जीवन के विभिन्न पहलुओं और राजनीतिक यात्रा का वर्णन किया है। यह किताब उनके विचारों और आदर्शों को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
निजी जीवन
लाल कृष्ण आडवाणी का विवाह कमला आडवाणी से हुआ, जिनसे उन्हें एक बेटा और एक बेटी हैं। उनका परिवार हमेशा उनके जीवन और कार्यों में सहायक रहा।
पुरस्कार और सम्मान
लालकृष्ण आडवाणी को उनकी सेवाओं और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों और सम्मानों से नवाजा गया है। वे भारतीय राजनीति के उन नेताओं में से एक हैं, जिन्होंने अपने अनुशासन और समर्पण से लाखों लोगों को प्रेरित किया।
निष्कर्ष
लाल कृष्ण आडवाणी भारतीय राजनीति के एक प्रमुख स्तंभ हैं, जिन्होंने दशकों तक भारतीय राजनीति को प्रभावित किया। उनके विचार, नेतृत्व और योगदान को भारतीय राजनीति में हमेशा याद किया जाएगा। उनके जीवन से यह सिखने को मिलता है कि राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए कठिनाइयों का सामना कैसे किया जाए।