मुंबई शहर को सपनों का शहर कहा जाता है, यह शहर हर इंसान को उसका सपना पूरा करने के लिए एक मौका जरुर देता है. ऐसा ही मौका कभी मिला था ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ को, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी को एक अलग मोड़ दे दिया था. आज उनकी जिंदगी पर संजय लीला भंसाली ने फिल्म बनाई है इस फिल्म का नाम है ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ इस फिल्म में गंगूबाई का किरदार आलिया भट्ट निभा रही है. फिल्म का टीजर रिलीज हो गया है, यह फिल्म 30 जुलाई 2021 को रिलीज होगी. आज शायद बहुत कम लोग गंगूबाई काठियावाड़ी के बारें में जानते होंगे लेकिन एक समय था जब पूरा भारत उन्हें जानता और पहचानता था. पेशे से एक वैश्या थी लेकिन उसने जो मुकाम हासिल किया वो शायद बहुत कम लोगों को मिलता है. आज हम इस आर्टिकल में गंगुबाई काठियावाड़ी के जीवन के बारें में सम्पूर्ण जानकारी देने वाले हैं, इसलिए इस आर्टिकल को पूरा जरुर पढ़ें.
गंगूबाई काठियावाड़ी की जीवनी
पूरा नाम | गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी |
प्रचलित नाम | गंगूबाई |
निक नाम | गंगू |
पिता का नाम | ज्ञात नहीं |
माता का नाम | ज्ञात नहीं |
जन्म तारीख | 1939 |
जन्मस्थान | काठियावाड़, गुजरात |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
गृहनगर | काठियावाड़ |
शैक्षिक योग्यता | 12वीं |
वैवाहिक स्तिथि | विवाहित |
पति का नाम | रमणीक |
जाति | ज्ञात नहीं |
धर्म | हिन्दू |
गंगूबाई का पूरा नाम गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी था, गंगूबाई के माता-पिता कौन थे यह जानकारी अभी तक प्राप्त नहीं हो पाई, लेकिन वह एक सम्पन्न परिवार से थी. उसके माता-पिता काफी पढ़े लिखे और पैसे वाले थे. उन्होंने गंगुबाई को 12वीं तक की शिक्षा उस समय दी थी, जब लड़कियों का पढना मना ही था. गंगूबाई का जीवन काफी अच्छा और बहुत ही रोचक था, उन्होंने अपने जीवन के अनेक राज, राज ही रखें. यही कारण है की उनके माता-पिता कौन थे यह राज आज भी राज बना हुआ है. गंगूबाई का जन्म गुजरात के काठियावाड़ में 1939 में हुआ था. लेकिन वह अपने माता-पिता के पास महज 16 साल ही रही थी.
गंगूबाई की शादी
हुसैन जैदी द्वारा लिखी गई किताब ‘माफिया क्वींस ऑफ मुंबई’ के अनुसार गंगूबाई जब 16 साल की थी तब उसने अपने पिता के अकाउंटेंट के साथ शादी कर ली थी. किताब में बताया गया है की गंगूबाई को फ़िल्में बहुत पसंद थी वह अभिनेत्री बनना चाहती थी. यही कारण था की रमणीक जो गंगूबाई के पिता का नौकर था उसने गंगूबाई को अपने झांसे में लिया और उससे शादी कर ली थी.
रमणीक और गंगूबाई शादी करने के बाद गुजरात से मुंबई आ गये थे, चूँकि रमणीक गुजरात जाने से पहले मुंबई रहा करता था और उसने गंगूबाई को कहा था की वह उसे अभिनेत्री बना देगा उसके अनेक बड़े लोगों के साथ संपर्क है. लेकिन गंगूबाई के जीवन में ऐसा कुछ नहीं हुआ, उन्हें अपने जीवन की असली परेशानी का सामना अब करना था.
गंगूबाई को 500 रूपए में पति ने बेच दिया था
आपको जानकर हैरानी होगी की गंगूबाई के पति रमणीक ने उन्हें 500 रूपए में एक कोठे पर बेच दिया था. गंगूबाई को उसके पति रमणीक ने यह कहकर कोठे पर छोड़ दिया की यह उसकी मौसी का घर है और जब तक मुंबई में उन्हें घर नहीं मिल जाता तब तक वो यहाँ रहे. लेकिन रमणीक उस दिन के बाद कभी वापस लौटकर नहीं आया. किताब के अनुसार गंगूबाई को उस वक्त यह भी पता नहीं था की कोठा क्या होता है और यहाँ क्या होता है. लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब गंगूबाई ने कोठों की फ्रेंचाइजी बांटी थी.
करीम लाला से मिलने के बाद बदली जिंदगी
गंगा हरजीवनदास काठियावाड़ी अब गंगूबाई/गंगू बन चुकी थी, उसने कोठे के नियम और कायदे समझ लिए थे. उसे लग रहा था की अब उसकी जिंदगी यहाँ तक ही सिमित है. लेकिन मैंने पहले ही कहा था की मुंबई शहर एक बार सपने पुरे करने का मौका जरुर देता है और यही मौका गंगूबाई को भी मिला लेकिन उस वक्त तक बहुत देर हो चुकी थी. करीम लाला उस समय मुंबई के माफ़िया डॉन हुआ करते थे और अपनी उदारता का परिचय देते हुए वह दरबार लगाया करते और लोगों को न्याय दिलाया करते थे.
उस समय का एक किस्सा गंगूबाई से भी जुड़ा हुआ है “जानकारी के अनुसार गंगूबाई के कोठे पर शौकत खान जो करीम लाला का आदमी था वह आया और गंगूबाई के साथ खूब शोषण किया, लेकिन जब पैसा देने की बात आई तो करीम लाला का नाम लेकर निकल गया. उस समय गंगूबाई न्याय के लिए करीम लाला के पास गई तो करीम लाला ने शौकत को कड़ी सजा देते हुए गंगूबाई को अपनी बहन बनाया. कहते है की गंगूबाई ने करीम लाला को राखी बाँधी थी.”
खौफ़ का दूसरा नाम बन गई थी गंगूबाई
मुंबई में उस समय करीम लाला का राज हुआ करता था और गंगूबाई का करीम लाला की बहन बनने के बाद रुतबा ही बदल गया था. अब लोग उन्हें सलाम करने लगे थे और लोग उनसे खौंफ खाने लगे थे. गंगूबाई ने उस समय तक पूरी मुंबई में अपना राज जमा लिया था, उनके पास इतनी पॉवर आ गई थी की वो अब अनेक शहरों में कोठों की फ्रेंचाइजी बांटने लगी और वह अनेक शहरों एंव मुंबई के सभी कोठों की अकेली मालकिन बन गई थी.
गंगूबाई के रुतबे और पैसों का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हो की गंगूबाई इतनी अमीर थी की उनके पास खुद की बेंटल कार थी जिसका रंग काला था. उन्होंने पैसों और रुतबे की मदद से कोठों में काम करने वाली महिलाओं के लिए अलग से व्यवस्था बनाने में जौर दिया, उनके बच्चों को अच्छी शिक्षा के प्रति प्रेरित किया और उन्हें समाज में सम्मान दिलाने का प्रयास किया. आपको जानकर हैरानी होगी की आज भी मुंबई के वैश्यालयों में गंगूबाई की तस्वीर लगी रहती है और वहां प्रतिमा बनी हुई है.
गंगूबाई के जीवन पर बनी फिल्म
फिल्म का नाम | गंगूबाई काठियावाड़ी |
निर्देशक | संजय लीला भंसाली |
किरदार | अलिया भट्ट |
अन्य कास्ट | अजय देवगन, इमरान हाश्मी , पार्थ, शांतनु महेश्वरी, विजय राज, तारीक अहमद खान, सीमा पाहवा, इंदिरा तिवारी, एम.के रांजा, धवल गोडा और बलदेव. |
रिलीज डेट | 30 जुलाई 2021 |
कहानी | हुसैन जैदी की ‘माफिया कविंस ऑफ़ मुंबई’ किताब पर आधारित |
गंगूबाई के जीवन पर संजय लीला भंसाली ने फिल्म बनाई है इस फिल्म का नाम ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ रखा गया है. इस फिल्म में आलिया भट्ट गंगूबाई का किरदार निभा रही है. इस फिल्म में अजय देवगन, विजय राज और इमरान हाशमी और अन्य कलाकार भी भूमिका निभायेंगे.
गंगूबाई से जुड़ी कुछ रोचक बातें
- गंगूबाई वैश्या होने के बावजूद लोग उन्हें माता की तरह पूजते थे.
- उन्होंने वेश्यावृत्ति को रोकने के लिए आवाज उठाई और खुद आन्दोलन की संचालिका बनी.
- उन्होंने हमेशा वैश्ययों के हित में सोचा.
- अनेक राजनेताओं से बात करके उन्होंने मुंबई के अनेक इलाकों में वेश्याओं के जीवन को सुधारा.
- आज तक किसी को मालूम नहीं है की उनकी मृत्यु कब और कहाँ हुई.
- वह सभी की कहानी जानती थी लेकिन उनकी असल कहानी क्या थी किसी को मालूम नहीं.
- उन्होंने लड़की की मर्जी के बिना वैश्या का काम नही करवाया, वह हमेशा लड़कियों को आजादी देती थी.
- आज भी मुंबई के अनेक वेश्यालयों में वैश्या अपने कमरे में गंगूबाई की तस्वीर रखती है.
- करीम खान की बहन बनने के बाद उन्हें लेडी डॉन, मुंबई कविंस और अनेक नामों से पहचाना जाने लगा.
- वह पहली भारतीय महिला डॉन थी.
गंगूबाई की मृत्यु कब हुई?
गंगूबाई की मृत्य कब हुई यह अभी तक मालूम नहीं है लेकिन बताया जाता है की 1975 और 1978 के बिच उनकी मृत्यु हुई थी. लेकिन यह जानकारी सत्य है या नहीं इसका कोई प्रमाण हमें नहीं मिला.
निष्कर्ष
यहाँ हमने इस आर्टिकल में गंगूबाई काठियावाड़ी के बारें में बताया है, गंगूबाई 60 के दशक की पहली महिला डॉन थी जिसने पूरी मुंबई को अपने कब्जे में ले लिया था. उस समय की पहली अमीर भारतीय महिला का तमका भी गंगूबाई को ही जाता है. क्योंकि उस समय वह अकेली भारतीय महिला थी जिसके पास महंगी गाड़ियाँ थी. यदि आपको यह जानकारी अच्छी लगी है तो आप हमें कमेंट्स में जरुर बताएं. आपको इस आर्टिकल का कौनसा हिस्सा सबसे ज्यादा इंटरेस्टिंग और अच्छा लगा हमें जरुर बताएं और अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.