Ratan Tata ki Jivni Hindi

पूरा नाम: रतन नवल टाटा
जन्म: 28 दिसंबर 1937
जन्म स्थान: बॉम्बे, महाराष्ट्र (अब मुंबई)
पिता का नाम: नवल टाटा
माता का नाम: सोनू टाटा
पत्नी का नाम: आजीवन अविवाहित
मृत्यु: 9 अक्टूबर, 2024
पेशा: उद्योगपति, टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन, परोपकारी

रतन टाटा का नाम भारत के सफलतम उद्योगपतियों में लिया जाता है। वह टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन और एक कुशल व्यापारी थे, जिन्होंने भारतीय उद्योग जगत में अपनी महत्वपूर्ण छवि बनाई है। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई वैश्विक स्तर की कंपनियों का अधिग्रहण किया और उद्योगों में नई ऊंचाइयों को छुआ।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

रतन टाटा का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई में हुआ था। वह टाटा परिवार के सदस्य थे, जो भारत के सबसे बड़े और प्रतिष्ठित व्यापारिक घरानों में से एक है। उनके माता-पिता का तलाक तब हुआ जब वे बहुत छोटे थे, जिसके बाद उनकी दादी नवजबाई टाटा ने उनका पालन-पोषण किया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई के कैंपियन स्कूल से हुई और बाद में वह कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल में गए। उन्होंने अमेरिका के कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से आर्किटेक्चर में स्नातक की डिग्री प्राप्त की, और उसके बाद हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस्ड मैनेजमेंट प्रोग्राम पूरा किया।

टाटा समूह में करियर की शुरुआत

1962 में, रतन टाटा ने टाटा समूह में काम करना शुरू किया। शुरुआत में उन्होंने टाटा स्टील के शॉप फ्लोर पर काम किया, जहां उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया और असल कामकाजी अनुभव प्राप्त किया। 1971 में उन्हें नेशनल रेडियो एंड इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी (नेल्को) का प्रभारी बनाया गया, जो उस समय घाटे में चल रही थी। रतन टाटा के नेतृत्व में, नेल्को की हालत में सुधार हुआ।

टाटा समूह का नेतृत्व

1991 में जे.आर.डी. टाटा के सेवानिवृत्त होने पर रतन टाटा को टाटा ग्रुप का चेयरमैन नियुक्त किया गया। उस समय टाटा समूह का अधिकांश व्यवसाय भारतीय बाजार पर निर्भर था। रतन टाटा ने समूह को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने का विचार रखा। उन्होंने टाटा कोरुस (स्टील), जगुआर लैंड रोवर (ऑटोमोबाइल), और टेटली (चाय) जैसी वैश्विक कंपनियों का अधिग्रहण किया। इसके अलावा, रतन टाटा ने टाटा इंडिका और टाटा नैनो जैसे नवाचारों के जरिए भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर में भी क्रांति लाई।

परोपकार और समाजसेवा

रतन टाटा अपने परोपकारी कार्यों के लिए भी विख्यात हैं। टाटा ग्रुप का एक बड़ा हिस्सा ट्रस्ट के माध्यम से सामाजिक कल्याण के लिए समर्पित है। रतन टाटा की शिक्षा, स्वास्थ्य, ग्रामीण विकास, और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में बड़ी रुचि थी। उनके ट्रस्ट ने कई स्कूलों, हॉस्पिटलों और शिक्षा संस्थानों की स्थापना में योगदान दिया है। इसके अलावा, टाटा ने प्राकृतिक आपदाओं में भी समाज की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

व्यक्तिगत जीवन

रतन टाटा का व्यक्तिगत जीवन बहुत ही सादगीपूर्ण रहा है। उन्होंने शादी नहीं की, और उनके जीवन में विनम्रता और सरलता का विशेष स्थान रहा है। अपने सादगीपूर्ण स्वभाव के कारण वे लोगों के बीच अत्यधिक लोकप्रिय थे।

रतन टाटा की पत्नी

सन 2011 एक बार रतन टाटा ने कहा था, “मैं चार बार शादी करने के करीब पहुंचा, लेकिन हर बार डर के कारण या किसी न किसी अन्य कारण से मैं पीछे हट गया।”

रतन टाटा जब लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे तो उन्हें एक लड़की से प्यार हो गया था। अचानक उन्हें भारत लौटना पड़ा क्योंकि उनके परिवार का कोई सदस्य बीमार था। उन्होंने लड़की से भारत साथ चलने के लिए कहा था, लेकिन लड़की के माता-पिता ने उसे भारत जाने की अनुमति नहीं दी। रतन टाटा अपनी प्रतिबद्धता पर अड़े रहे और वे आजीवन अविवाहित ही रह गए।

सम्मान और पुरस्कार

रतन टाटा को भारत सरकार द्वारा कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें मुख्य रूप से पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) शामिल हैं। इसके अलावा उन्हें कई अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी सराहा गया है।

रतन टाटा का योगदान और विरासत

रतन टाटा ने भारतीय उद्योग जगत को नई दिशा दी और टाटा समूह को एक वैश्विक पहचान दिलाई। उन्होंने यह साबित किया कि किसी भी व्यवसाय का असली मूल्य उसके नैतिक मूल्यों और समाज के प्रति जिम्मेदारियों में निहित होता है। आज भी, वह भारतीय उद्योग के लिए प्रेरणास्रोत बने हुए हैं।

रतन टाटा की मृत्यु

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्टूबर, 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उन्हें मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था जहाँ डॉक्टर ने उनकी मृत्यु की पुस्टि की थी। रतन टाटा का निधन भारत के व्यापार जगत और परोपकार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षति है।

टाटा संस के पूर्व चेयरमैन रतन टाटा के निधन के बाद उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा ट्रस्ट का नया चेयरमैन बनाया गया है। हालांकि नोएल टाटा को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त करने में रतन टाटा की कोई भूमिका नहीं थी।

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