दोस्तों, आपने कई राजनेताओं के बारे में देखा व सुना होगा। आज मैं आपको एक ऐसे नेता के बारे में बताने जा रहा हूँ जो अपनी भाषा से सबका मन मोह लेते थे फिर वो चाहे सत्ता पक्ष हो या विपक्ष। आज भी सभी लोग उनका नाम बड़े ही आदर के साथ लेते हैं। क्या आपने कभी उस नेता के बारे मे सुना है तो बैलगाड़ी मे बैठकर संसद तक गये थे? क्या आपको पता है की इस प्रकार की गतिविधियों को अंजाम देने वाले नेता कौन है? इस नेता के बारे में आपको इस लेख के माध्यम से बताया जाएगा। आपको इस लेख में उसी नेता “अटल बिहारी वाजपेयी” के बारे में बताने जा रहे हैं, उम्मीद करते हैं कि आपको यह लेख पसंद आएगा।
“बाद मुद्दत से दिवाने मिले हैं, अफसाने भी बहुत हैं कहने सुनने के लिए।
जरा सांस तो ले लो खुली हवा में, कब तक रहेगी आजादी कौन जाने।।”
इन शब्दों से अपना भाषण शुरू करने वाले नेता श्री अटल बिहारी वाजपेई को भला कौन नहीं जानता होगा? आपको इस लेख के माध्यम से उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी दे रहा हूँ। अतः आप इस लेख को अंत तक पढ़ें ताकि आपको इसके बारे में यह जानकारी प्राप्त हो सके।
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय
भारत के भूतपूर्व प्रधानमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के लिए एक समय में रीढ़ की हड्डी कहे जाने वाले भारत रत्न से सम्मनित, अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक छोटे से गांव में 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। इनके बारे में बात करें तो यह देश की केंद्रीय राजनीति में काफी सक्रिय थे। राजनेता के साथ-साथ वे एक अच्छे पत्रकार और शानदार कवि भी थे। वे अपनी बातों को कविताओं के जरिये बयां करते थे। अटल बिहारी वाजपेयी शुरू से ही कविताओं में अपनी रूचि रखते थे और उनका जन्म एक साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता भी एक महान कवि व पत्रकार थे और उनको ये गुण विरासत में मिले थे। पिता के समान ही उनके पास भी वो सभी गुण विद्यमान थे।
राजनीतिक जीवन
इनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत ओ बात तो अटल बिहारी वाजपेयी ने 1942 अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी जब देश भर अंग्रेजो के खिलफ़ भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके एक भाई आजादी की लड़ाई के लिए 23 दिनों के लिए जेल गए। 1951 साल की बात करे तो इस साल में इन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन किया और इसकी शुरुआत की। उनके उसी जीवनकाल में अटल बिहारी वाजपेयी की मुख्य भूमिका कुछ जाने माने चर्चित नेता जैसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ रही। आपको बता से की इन्होंने जिस संघ पार्टी की स्थापना की उस समय अटल बिहारी वाजपेयी 1968 से 1973 तक इसी भारतीय जनसंघ पार्टी के अध्यक्ष भी रह चुके है।
1957 में पहली बार अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में लोकसभा का चुनाव लड़ा था। यह उनके जीवन का पहला चुनाव था परंतु उस चुनाव में उनको जीत हासिल नहीं हुई पर सफर उनके लिए अंतिम नहीं था। इस 1957 के साल में जनसंघ पार्टी ने उनको अपने क्षेत्र उत्तर प्रदेश के लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया था, पर उस समय उनकी लखनऊ और मथुरा से चुनाव में हार हो गई थी परंतु उन्होनें बलरामपुर सीट से चुनाव जीता और लोकसभा में पहुंचे।
जब मोरारजी देसाई की सरकार थी तब अटल बिहारी वाजपेयी उनकी सरकार में मंत्री भी रह चुके है, वो समय 1977 से 1979 के मध्य तक का था जब वे उनकी सरकार में विदेश मंत्री रहे और उनके इस कार्य के दौरान उन्होंने विदेशों में भारत देश की सुंदर छवि भी बनायी। साल 1980 की बात है जब जनसंघ में कुछ अनबन हो गई और उनसे नाराज होकर अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की स्थापना की। ओर उस समय अटल बिहारी वाजपेयी 6 अप्रैल 1980 को इस भाजपा पार्टी के अध्यक्ष बने।
अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा में भी निर्वाचित हुए थे। आपको बता दें कि अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई से 1 जून 1996 को पहली बार प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली भारत के प्रधानमंत्री बने।
इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने राजनीतिक जीवन के दौरान 19 मार्च 1998 से 10 अक्टूबर 1999 तक प्रधानमंत्री के रूप में एक बार फिर देश की बागडोर संभाली। फिर इसके बाद 10 अक्टूबर 1999 से 2004 तक फिर देश के प्रधानमंत्री चुने गए।
2004 का वो साल था जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने शारीरिक अस्वस्थता के कारण राजनीति से संन्यास ले लिया था। इसके बाद से लगातार बीमारी से जूझते रहे लेकिन अंत में वे बीमारी से हार गए और 16 अगस्त 2018 को दिल्ली के एम्स में उनका निधन हो गया था।
अटल बिहारी वाजपेयी ऐसे इकलौते नेता थे जिन्होंने उत्तर प्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली की लगभग सभी सीटों पर संसदीय चुनाव जीता था।
प्रमुख रचनाएं
आपको तो पता ही होगा की अटल बिहारी वाजपेयी स्वयं एक लेखक व कवि थे एवं उन्होंने स्वयं भी कई प्रकार की रचनाएं की है जो निम्नलिखित हैं।
- मृत्यु या हत्या
- रग-रग हिन्दू मेरा परिचय
- कैदी कविराय की कुंडलियाँ
- संसद में तीन दशक
- अमर आग है
- राजनीति की रपटीली राहें
- बिन्दु बिन्दु विचार
- मेरी इक्यावन कविताएँ
- अमर बलिदान
- कुछ लेख: कुछ भाषण
- सेक्युलर वाद
वाजपेयी जी को दिये गये कुछ पुरस्कार
अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने जीवन में कई महत्वपूर्ण कार्य किये हैं जिस वजह से उन्हें कई खिताबों से नवाजा गया है जो की निम्न हैं –
- 1992 में पद्म विभूषण
- 1993 में डी लिट (कानपुर विश्वविद्यालय)
- 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार
- 1994 में श्रेष्ठ सासंद पुरस्कार
- 1914 में भारत रत्न पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार
- 2015 में डी लिट (मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय)
- 2015 में भारतरत्न से सम्मानित
इसके अलावा और भी सम्मान हमारे भारत के पूर्व प्रधानमंत्री को दिये गये हैं।
निष्कर्ष:-
इस लेख में आपको भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में बताया गया है। अपने राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाते हुए अटल बिहारी वाजपेयी दो बार राज्यसभा में भी निर्वाचित हुए थे। उम्मीद करते हैं आपको यह लेख पसंद आया होगा।