उत्तर भारत में छ: ऋतुएँ मानी जाती हैं, जिनमें सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली या सबसे ज्यादा चर्चित ऋतु बंसत ऋतु है। बंसत ऋतु पर अनेक संगीत, कवितायेँ, गजल एंव कहानियां बनी हैं। कहते है की एक लेखक को अगर कुछ लिखना है तो इस ऋतु में समन्दर के किनारे बैठकर लिखे तो, उसका लिखा कभी नापसंद नहीं होता है। खैर आज हम इस आर्टिकल में बसंत ऋतु पर निबंध लिखने जा रहे हैं, आपको करीब 1000 शब्दों का निबंध यहाँ मिल जाएगा। अगर आप विद्यार्थी है तो आपके लिए यह आर्टिकल काफी अच्छा साबित होगा। तो चलिए बढ़ते है बसंत ऋतु के निबंध की ओर –
ऋतुराज बसंत पर निबंध
बसंत ऋतु का आरंभ माघ महीने की शुक्ल पक्ष की पंचमी को होता है, इस पंचमी को ‘बंसत पंचमी’ के रूप में भी मनाया जाता है। यह करीब 3 महीने फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने तक चलती है। भारत के कुछ इलाकों में यह ऋतु मई तक भी जारी रहती है। क्योंकि यह प्राकृतिक है और हर जगह का तापमान, नेचर और व्यू अलग-अलग होता है इसी वजह से इस ऋतु को कुछ इलाकों में मई तक भी मान सकते हैं। यह ऋतु बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक होती है, इस ऋतू में हवा भी कुछ अलग ही होती है। ना बहुत ज्यादा ठण्ड होती है और ना ही बहुत ज्यादा गर्मी, शायद यही वजह है की यह ऋतु हमें सबसे ज्यादा पसंद है।
बंसत ऋतु में प्रकृति में बदलाव
यह ऋतू किसानो के लिए काफी अच्छी होती है, खेत में सरसों फूलों पर होती है और पूरी धरती मानो हरियाली से भर गई है। हर तरफ आपको हरियाली और फूलों की महक मिलेगी। इस ऋतू में हवा भी इतनी मादक हो जाती है शायद यही वजह है की बंसत ऋतू को कामदेव का पुत्र भी कहा जाता है। हर तरफ मादकता होती है, हवा महकती है और आस-पास चिड़ियों की चह-चह और नदियों के झरनो की आवाज भी बहुत खूबसूरत लगती है। ऐसा लगता है की हम स्वर्ग में हैं। इस ऋतू में गुलाब और सरसों के फूल हमें अपनी और आकर्षित करते हैं, और फूलों के जितने भी पौधे होते हैं सब मनमोह लेते हैं।
धरती को स्वर्ग बनाती है बसंत ऋतु
बसंत ऋतू को हम धरती का स्वर्ग भी कह सकते हैं। हम कह सकते हैं की दुःख के बाद सुख आता है वैसे ही धरती पर भी बसंत ऋतू के रूप में स्वर्ग आता है। इस ऋतू में शायद ही कोई ऐसा हो जो खुश ना हो, किसान अपनी खेती को लेकर खुश होते हैं तो बच्चे मौसम का मजा लेते हैं, शादी-शुदा घुमने निकल जाते है और प्रकृति का आनंद लेते है। कुल मिलाकर यह ऋतू धरती पर स्वर्ग से कम नहीं है। श्री कृष्ण ने भी कहा है की मैं ऋतुओं में बसंत हूँ, शायद यही वजह रही होगी की श्री कृष्ण भी इस ऋतू में गोपियों के साथ रास रचाते होंगे।
बसंत ऋतू आते ही लगता है की हमारी धरती पर कुछ नया हुआ है, हर तरफ हरियाली के साथ कोयल की कुकू मानो नवजीवन का सन्देश देती हो। इस ऋतू में हर तरफ नजारा काफी अच्छा और मनमोहक होता है। अगर आप इस ऋतू में कभी अपने खेत जाओगे तो आप पाओगे की सच में खेत और खलिहान कितने मनमोहक होते हैं। सरसों के फुल पर मधुमक्खी और तितलियों का मंडराना काफी शानदार होता है। कहते हैं कि इस ऋतू में नए जीवों का आगमन भी होता है।
बसंत ऋतु में भारत के लोग क्या करते हैं?
जब बसंत ऋतू का आगाज होता है तब चारों तरफ हरियाली और पक्षियों की आवाज के साथ आसमान में पतंगे भी नजर आने लगती है। भारत के लोग इस ऋतू में पतंग उड़ाने का भी खूब मजा लेते हैं। बसंत ऋतू में लोग अपने घर से बाहर आकर दूर अपने दोस्तों के साथ खेलने जाते हैं, उनके साथ मस्ती करते हैं, कुछ जगहों पर बसंत ऋतू के आगमन के साथ ही संगीत इत्यादि भी शुरू कर दिए जाते है। तो उनका भी आनंद लेते हैं। जैसे बसंत ऋतू में मुख्य त्योंहार भी होली का आता है ऐसे में होली के फाग बसंत ऋतू में काफी प्रचलित है। भारत में दूर-दूर से लोग होली का फाग सुनने आते हैं। विदेशी सैलानी भी इस ऋतू में भारत घुमने का आनंद लेते हैं।
बसंत ऋतु और लेखन
लेखकों के जीवन में बसंत ऋतू का एक अलग ही महत्व है, बहुत से लेखक जो कहानियां, कविताएँ और शायरियां लिखते है वो इस ऋतू में ही लिखना शुरू करते है और ऋतू के अंत तक अपना पूरा लेखन पूरा कर देते हैं। भारत के अनेक बड़े लेखक भी बसंत ऋतू को काफी महत्व देते हैं। हिंदी लेखक हरिवंश राय बच्चन ने भी अपनी अनेक किताबों में बसंत ऋतू का जिक्र किया है।
वर्तमान में बसंत ऋतु का महत्व
वर्तमान यानि आज के भारत में बसंत ऋतू का वैसा महत्व नहीं रहा है, आज हम शहरों के बंद कमरों में अपना जीवनयापन करते हैं, ऐसे में शायद ही हम बसंत ऋतू का आनंद ले पाते हैं। वहीं आज भारत और पुरे विश्व में प्रदुषण लगातार बढ़ता जा रहा है और बसंत का आनंद खत्म होता जा रहा है। एक समय था जब बंसत के आगमन पर हर गाँव, शहर और कस्बे में राग गाये जाते थे लेकिन आज यह लुप्त होता जा रहा है क्योंकि आज की बिजी लाइफ में शायद हम समय ही नहीं दे पाते हैं। लेकिन आज भी भारत के गांवों में बंसत का आनंद पहले की तरह बना हुआ है।
निष्कर्ष
बंसत ऋतु को ऋतुओं का राजा कहा जाता है, इससे आप समझ सकते हैं की यह ऋतु कितनी प्यारी, मनमोहक और आनंदित करने वाली होगी। लेकिन आज प्रदुषण की वजह से इस ऋतु का आनंद पहले जैसा नही रहा है। इसलिए हम आपसे गुजारिश करते हैं की प्रदुषण कम करने का प्रयास करें और बंसत का आनंद अपने घरों से निकलकर बाग़, बगीचों, खेत इत्यादि में जाकर जरुर लेंवे। क्योंकि जो नजारा इस ऋतु में हमें देखने को मिलता है वह किसी भी ऋतू में नहीं देखने को मिलता है। आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें जरुर बताएं, अगर जानकारी अच्छी लगी हो तो अपने दोस्तों के साथ इस आर्टिकल ‘बसंत ऋतु पर निबंध’ को शेयर जरुर करें।