Mahashivratri Katha Hindi Mein

महाशिवरात्रि कथा | Shiv Puran Mahashivratri Katha in Hindi

महाशिवरात्रि का पर्व हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, और इसे भगवान शिव की पूजा का दिन माना जाता है। इस दिन भगवान शिव के भक्त उपवासी रहते हुए रात्रि भर जागरण करते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं। महाशिवरात्रि की कथा बहुत सारी धार्मिक मान्यताओं और घटनाओं से जुड़ी हुई है, जो इस दिन को विशेष बनाती हैं। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा का महत्व है, और इसके साथ जुड़ी कथाएँ भी भक्तों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

महाशिवरात्रि कथा की प्रमुख घटनाएँ

भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह

महाशिवरात्रि का दिन भगवान शिव और माता पार्वती के विवाह से भी जुड़ा हुआ है। एक समय भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन थे और भगवान शिव के ध्यान में एकमात्र उनका ध्यान था। इसी दौरान माता पार्वती ने शिव को अपना पति बनाने की इच्छा जाहिर की। इसके लिए उन्होंने कठिन तपस्या की और अपनी सारी ऊर्जा शिवजी के चरणों में समर्पित कर दी। उनकी कठोर तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने पार्वती को आशीर्वाद दिया कि वह उनकी पत्नी बनेंगी। इस प्रकार, महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ और यह दिन शिव भक्तों के लिए खास बन गया।

शिवलिंग की उत्पत्ति और समुद्र मंथन

महाशिवरात्रि का संबंध एक और प्रसिद्ध कथा से भी है, जो समुद्र मंथन से जुड़ी हुई है। जब देवता और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया, तो उसमें से कई रत्न और अमृत निकले, लेकिन सबसे पहले हलाहल नामक विष उत्पन्न हुआ। यह विष इतना घातक था कि इसके संपर्क से सम्पूर्ण ब्रह्मांड का विनाश हो सकता था। देवताओं ने इस विष को पीने के लिए किसी को तैयार नहीं पाया। तब भगवान शिव ने अपने गले में इस विष को धारण किया और पूरी दुनिया को विनाश से बचाया। इस घटना से भगवान शिव का नीलकंठ नाम पड़ा। यह घटना भी महाशिवरात्रि के दिन घटित हुई थी, इस कारण महाशिवरात्रि का दिन विशेष रूप से भगवान शिव के इस महान कार्य की याद दिलाता है।

भगवान शिव द्वारा कामदेव का संहार

महाशिवरात्रि की एक अन्य कथा भगवान शिव और कामदेव से जुड़ी हुई है। एक बार जब भगवान शिव गहरी तपस्या में लीन थे, तब देवताओं ने कामदेव को भेजा ताकि वह शिवजी को प्रेम में ललचाकर उनकी तपस्या भंग कर सकें। कामदेव ने शिवजी के सामने अपनी माया का प्रपंच रचा, लेकिन भगवान शिव ने अपनी तीसरी आँख खोल दी और कामदेव को भस्म कर दिया। इस घटना को महाशिवरात्रि के दिन मानते हैं, क्योंकि इस दिन भगवान शिव ने अपनी शक्तियों का पूर्ण रूप से प्रदर्शन किया।

शिवलिंग का महत्त्व

महाशिवरात्रि का संबंध भगवान शिव के शिवलिंग रूप से भी जुड़ा हुआ है। शिवलिंग की पूजा के महत्व की एक कथा भी बहुत प्रसिद्ध है। एक बार देवता और राक्षसों के बीच यह विवाद हुआ कि कौन सबसे बड़ा है- शिव या विष्णु। इस विवाद को सुलझाने के लिए भगवान शिव और भगवान विष्णु ने एक महान ज्योति के रूप में स्वयं को प्रकट किया। वह ज्योति इतनी विशाल थी कि न तो उसका अंत खोजा जा सकता था और न ही उसका प्रारंभ। भगवान विष्णु ने उसकी ऊँचाई और भगवान शिव ने उसकी गहराई की पहचान की, लेकिन दोनों का ही अंत न मिला। तब भगवान शिव ने स्वयं को शिवलिंग के रूप में प्रकट किया और यह घटना महाशिवरात्रि के दिन ही घटित हुई। इस प्रकार, शिवलिंग की पूजा महाशिवरात्रि पर विशेष रूप से की जाती है, क्योंकि यह भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप का प्रतीक है।

महाशिवरात्रि के दिन का महत्व

महाशिवरात्रि का दिन विशेष रूप से भगवान शिव की पूजा और आराधना का दिन है। इस दिन शिव भक्त उपवासी रहते हैं, रात्रि भर जागरण करते हैं, और भगवान शिव के भजन, कीर्तन, और मंत्र जाप करते हैं। यह दिन आत्मा की शुद्धि और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति का है। इस दिन भगवान शिव की पूजा से अन्न, धन, सुख, और समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, महाशिवरात्रि के दिन कुछ विशेष क्रियाएँ की जाती हैं, जो इस दिन को और भी विशेष बनाती हैं:

  1. शिवलिंग पूजन: इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, बेल पत्र, अक्षत, और फल चढ़ाए जाते हैं। भगवान शिव को बेल पत्र प्रिय हैं, और उनकी पूजा में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  2. उपवासी रहना: महाशिवरात्रि के दिन भक्त उपवासी रहते हैं और दिनभर व्रत रखते हैं। रात्रि में जागरण किया जाता है और भगवान शिव के भजनों का श्रवण किया जाता है।
  3. मंत्र जाप: इस दिन विशेष रूप से ॐ नमः शिवाय” और हर हर महादेव” जैसे मंत्रों का जाप किया जाता है, जो शिव भक्तों के लिए अत्यधिक फलदायी होते हैं।
  4. रात्रि जागरण: महाशिवरात्रि की रात जागरण करके शिव भक्त अपने हृदय में भगवान शिव का वास महसूस करते हैं। इस दिन जागरण करने से मानसिक और आध्यात्मिक शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

महाशिवरात्रि के कुछ तथ्य

  1. महाशिवरात्रि का पर्व प्रत्येक वर्ष फाल्गुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है।
  2. यह दिन भगवान शिव के प्रत्येक रूप और शक्ति का सम्मान करने का है। इस दिन भगवान शिव के नटराज रूप की भी पूजा की जाती है।
  3. महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के ॐ नमः शिवाय मंत्र का जाप करने से भक्तों के पाप समाप्त होते हैं और उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है।

निष्कर्ष

महाशिवरात्रि का पर्व एक पवित्र और आध्यात्मिक पर्व है, जो भगवान शिव की पूजा और भक्ति के लिए समर्पित है। यह दिन विशेष रूप से आत्मिक उन्नति, ध्यान, और साधना का दिन है। महाशिवरात्रि के दिन किए गए पूजा-अर्चना, उपवास, और मंत्र जाप से न केवल आत्मा को शांति मिलती है, बल्कि जीवन में सुख, समृद्धि और समर्पण की प्राप्ति होती है। इस दिन की कथाएँ भी हमें भगवान शिव की महानता और उनके द्वारा किए गए दिव्य कार्यों की याद दिलाती हैं।

महाशिवरात्रि का पर्व हमें यह सिखाता है कि अगर हम सच्चे मन से भगवान शिव की आराधना करें, तो हमारे जीवन के सभी दुखों का नाश हो सकता है, और हमें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।

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