संत कबीरदास जी हिंदी साहित्य के महान भक्त कवि और समाज सुधारक थे। उन्होंने अपने दोहों के माध्यम से समाज में फैली कुरीतियों, अज्ञानता, पाखंड और धार्मिक आडंबरों पर प्रहार किया। उनके दोहे आज भी लोगों को जीवन की सच्चाई और सादगी का मार्ग दिखाते हैं। यहाँ कबीर के 50 प्रसिद्ध दोहे अर्थ सहित दिए गए हैं।
- बड़ा हुआ तो क्या हुआ
बड़ा हुआ तो क्या हुआ, जैसे पेड़ खजूर।
पंथी को छाया नहीं, फल लागे अति दूर॥
🔹 अर्थ: केवल ऊँचा होने से कोई महान नहीं बनता। यदि कोई दूसरों के काम नहीं आता, तो उसकी ऊँचाई व्यर्थ है। - चलती चक्की देख के
चलती चक्की देख के, दिया कबीरा रोय।
दो पाटन के बीच में, साबुत बचा न कोय॥
🔹 अर्थ: जैसे चक्की के दो पाटों के बीच अनाज पिस जाता है, वैसे ही यह संसार भी मोह-माया और द्वंद्व के बीच पीड़ित है। - काल करे सो आज कर
काल करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में प्रलय होएगी, बहुरि करेगा कब॥
🔹 अर्थ: जो करना है, उसे तुरंत कर लो, क्योंकि समय कभी किसी के लिए नहीं रुकता। - जैसा भोजन खाइये
जैसा भोजन खाइये, तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिए, तैसी वाणी होय॥
🔹 अर्थ: हमारा खान-पान हमारे विचारों और वाणी पर प्रभाव डालता है। - कबिरा खड़ा बाजार में
कबिरा खड़ा बाजार में, सबकी मांगे खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर॥
🔹 अर्थ: संत का जीवन निष्पक्ष होता है, वह न किसी से बैर रखता है और न ही विशेष मित्रता करता है। - माला फेरत जुग गया
माला फेरत जुग गया, फिरा न मन का फेर।
कर का मन का डार के, मन का मनका फेर॥
🔹 अर्थ: यदि मन भक्ति में न लगा हो, तो हाथ से माला फेरने का कोई लाभ नहीं। - जो तू बुरा न मानिए
जो तू बुरा न मानिए, तो कांकर पीसा होय।
जो तू बुरा मानिए, तो गंगा में पत्थर होय॥
🔹 अर्थ: यदि कोई व्यक्ति किसी बात को हल्के में ले, तो वह साधारण हो जाती है, लेकिन यदि उसे दिल से लगा लिया जाए, तो वह भारी समस्या बन जाती है। - निंदक नियरे राखिए
निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय।
बिन पानी, साबुन बिना, निर्मल करे सुभाय॥
🔹 अर्थ: जो हमारी आलोचना करता है, वह हमें सुधारने में मदद करता है, इसलिए आलोचकों को पास रखना चाहिए। - दुःख में सुमिरन सब करे
दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे होय॥
🔹 अर्थ: अधिकतर लोग भगवान को केवल दुख में याद करते हैं, लेकिन यदि सुख में भी ईश्वर का ध्यान किया जाए, तो दुख आएगा ही नहीं। - मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे
मोको कहाँ ढूंढे रे बंदे, मैं तो तेरे पास में।
ना तीरथ में, ना मूरत में, ना एकांत निवास में॥
🔹 अर्थ: ईश्वर कहीं बाहर नहीं, बल्कि हमारे हृदय में ही निवास करते हैं। - पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ
पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ, पंडित भया न कोय।
ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय॥
🔹 अर्थ: केवल किताबें पढ़ने से कोई विद्वान नहीं बनता। सच्चा ज्ञान प्रेम और स्नेह को समझने से आता है। - हमन है इश्क मस्ताना
हमन है इश्क मस्ताना, हमन को होशियारी क्या।
रहें आजाद जगत से, हमन दुनिया से यारी क्या॥
🔹 अर्थ: सच्चे प्रेम में डूबे लोग दुनियादारी की चिंता नहीं करते। - कबिरा सो धन संचिये
कबिरा सो धन संचिये, जो आगे को होय।
सीस चढ़ाए पोटली, ले जात न देख्यो कोय॥
🔹 अर्थ: ऐसा धन जमा करो, जो मृत्यु के बाद भी काम आए। सांसारिक धन यहाँ रह जाता है, केवल अच्छे कर्म ही साथ जाते हैं। - साधु ऐसा चाहिए
साधु ऐसा चाहिए, जैसा सूप सुभाय।
सार-सार को गहि रहे, थोथा देई उड़ाय॥
🔹 अर्थ: हमें ऐसे गुरु की तलाश करनी चाहिए, जो अच्छे विचारों को अपनाने और बुरे विचारों को त्यागने की सीख दे। - तिनका कबहुँ ना निन्दिये
तिनका कबहुँ ना निन्दिये, जो पांव तले होय।
कबहुँ उड़ी आँखिन पड़े, तो पीर घनेरी होय॥
🔹 अर्थ: किसी को भी तुच्छ मत समझो, क्योंकि कभी-कभी वही चीज़ हमारे लिए कष्टदायक हो सकती है। - जग में बैरी कोई नहीं
जग में बैरी कोई नहीं, जो मन शीतल होय।
यह आपा तो डाल दे, दया करे सब कोय॥
🔹 अर्थ: यदि मन शांत हो और अहंकार छोड़ दिया जाए, तो कोई भी शत्रु नहीं रहेगा। - ऐसी बानी बोलिए
ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोय।
औरन को शीतल करे, आपहुं शीतल होय॥
🔹 अर्थ: हमें ऐसी मीठी और मधुर वाणी बोलनी चाहिए, जिससे दूसरों को भी सुख मिले और खुद को भी। - जब तू आया जगत में
जब तू आया जगत में, जग हँसा तू रोय।
अब ऐसी करनी कर चल, तू हँसे जग रोय॥
🔹 अर्थ: जब मनुष्य जन्म लेता है, तो वह रोता है और दुनिया हँसती है। उसे ऐसा जीवन जीना चाहिए कि जब वह जाए, तो वह हँसे और दुनिया रोए। - माटी कहे कुम्हार से
माटी कहे कुम्हार से, तू क्या रोंदे मोय।
एक दिन ऐसा आएगा, मैं रोंदूंगी तोय॥
🔹 अर्थ: यह संसार नश्वर है। जो आज शक्तिशाली है, वह भी एक दिन मिट्टी में मिल जाएगा। - कबीरा ते नर अंध है
कबीरा ते नर अंध हैं, गुरु को कहते और।
हरी रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठे नहीं ठौर॥
🔹 अर्थ: जो गुरु की उपेक्षा करता है, वह अंधा है। ईश्वर यदि रूठ जाए, तो गुरु संभाल सकता है, लेकिन यदि गुरु रूठ जाए, तो कोई ठिकाना नहीं।
Kabir Das Biography in Hindi
- सुख में सुमिरन न कीया
सुख में सुमिरन न कीया, दुख में कीया रोय।
कहे कबीर ता दास की, कौन सुनेगा गोय॥
🔹 अर्थ: लोग सुख में भगवान को भूल जाते हैं और दुख में उन्हें याद करते हैं, लेकिन सच्ची भक्ति वही है जब सुख-दुख दोनों में ईश्वर को याद किया जाए। - देख पराई चूपड़ी
देख पराई चूपड़ी, मत ललचाओ जी।
तेरी चूपड़ी आएगी, तुझे भी कोई दे॥
🔹 अर्थ: दूसरों की संपत्ति देखकर ईर्ष्या मत करो। जो तुम्हारे भाग्य में है, वह तुम्हें अवश्य मिलेगा। - गुरु बिन ज्ञान न उपजे
गुरु बिन ज्ञान न उपजे, गुरु बिन मिले न मोक्ष।
गुरु बिन लखै न सत्य को, गुरु बिन मिटे न दोष॥
🔹 अर्थ: बिना गुरु के ज्ञान, मोक्ष और सत्य की पहचान संभव नहीं है। - ऐसी करनी कर चलो
ऐसी करनी कर चलो, सब जग करे सलाम।
कबीर तुझसा संत नहीं, कोई करे बदनाम॥
🔹 अर्थ: अपने कर्म ऐसे करने चाहिए कि लोग सम्मान दें, और कोई भी बदनाम न करे। - मन के हारे हार है
मन के हारे हार है, मन के जीते जीत।
कहे कबीर हरि पाइए, मन ही के परतीत॥
🔹 अर्थ: जीवन में सफलता और असफलता हमारे मन की स्थिति पर निर्भर करती है। - कबीरा खड़ा बजार में
कबीरा खड़ा बजार में, मांगे सबकी खैर।
ना काहू से दोस्ती, ना काहू से बैर॥
🔹 अर्थ: सच्चे संत को सभी से प्रेम करना चाहिए और किसी से द्वेष नहीं रखना चाहिए। - जो घर फूंके आपना
जो घर फूंके आपना, चले हमारे साथ।
जो घर फूंके आपना, साईं करे सहाय॥
🔹 अर्थ: जो मोह-माया का त्याग कर सकता है, वही सच्चे ईश्वर-मार्ग पर चल सकता है। - जाति न पूछो साधु की
जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान॥
🔹 अर्थ: व्यक्ति की जाति नहीं, बल्कि उसके ज्ञान और कर्म को महत्व देना चाहिए। - कबीरा गरब न कीजिए
कबीरा गरब न कीजिए, कबहुं न हसिए कोय।
जिन जीवों को आप हंसे, तिन हंसे सब कोय॥
🔹 अर्थ: अहंकार नहीं करना चाहिए, क्योंकि समय कभी भी बदल सकता है। - मिट्टी होए न मांस का
मिट्टी होए न मांस का, जब जल जाए शरीर।
राख रहेगी राख में, क्या लिया पाप-अधीर॥
🔹 अर्थ: शरीर नश्वर है, केवल आत्मा शाश्वत है। इसलिए पाप नहीं करना चाहिए। - साधु ऐसा चाहिए
साधु ऐसा चाहिए, जो करे नीति की बात।
संपत्ति ना चहे किसी की, अपने मन में समात॥
🔹 अर्थ: सच्चे संत वही हैं जो लोभ-मोह से परे रहते हैं। - दोहे बिना अर्थ हीन
दोहे बिना अर्थ हीन, जैसे पानी बिन मीन।
कहे कबीर ज्ञान बिन, व्यर्थ जन्म है लीन॥
🔹 अर्थ: ज्ञान के बिना जीवन व्यर्थ है, जैसे बिना पानी के मछली मर जाती है। - पंछी सोचे दूर की
पंछी सोचे दूर की, अपने आगे प्रीत।
कहे कबीर जो करम कर, आगे वही प्रतीत॥
🔹 अर्थ: जो कर्म हम करते हैं, वही भविष्य में हमारे पास लौटकर आता है। - मन के अंदर झांक रे
मन के अंदर झांक रे, बाहर का क्या देख।
अपने मन को कर स्वच्छ, फिर मिलेगी नेक॥
🔹 अर्थ: बाहर देखने के बजाय, पहले खुद के भीतर झाँकना चाहिए। - अंतर मन में झूठ है
अंतर मन में झूठ है, ऊपर दिखे प्यार।
ऐसे पाखंडी लोग से, कबीर करे तिरस्कार॥
🔹 अर्थ: जो बाहर से अच्छे दिखते हैं, लेकिन अंदर से कपटी होते हैं, उनसे बचना चाहिए। - गुरु मिले तो सब मिले
गुरु मिले तो सब मिले, ना तो मिले न कोय।
कहे कबीर हरि मिलेंगे, गुरु के चरणों में होय॥
🔹 अर्थ: यदि सच्चे गुरु मिल जाएँ, तो सब कुछ मिल जाता है, क्योंकि वे ही ईश्वर तक पहुँचने का मार्ग दिखाते हैं। - जब लग नासे मोह
जब लग नासे मोह, तब लग नाहीं राम।
माया के जाल में, फंसे रहे दिन-रात॥
🔹 अर्थ: जब तक मोह नहीं छूटेगा, तब तक ईश्वर की सच्ची भक्ति संभव नहीं है। - प्रेम गली अति सांकरी
प्रेम गली अति सांकरी, तामें दो न समाय।
जब मैं था तब हरि नहीं, अब हरि है मैं नाय॥
🔹 अर्थ: ईश्वर की भक्ति के मार्ग पर अहंकार की कोई जगह नहीं होती। - मन न रंगाए रंगाए जोगी
मन न रंगाए रंगाए जोगी, कपड़ा रंगाए क्या।
भीतर का रंग पक्का हो, तो सच्चा भक्त बन जा॥
🔹 अर्थ: बाहरी दिखावे से कुछ नहीं होता, भक्ति मन की होनी चाहिए। - कबिरा जब हम पैदा हुए
कबिरा जब हम पैदा हुए, जग हंसा हम रोये।
अब ऐसी करनी कर चलो, हम हंसे जग रोये॥
🔹 अर्थ: जीवन ऐसे जियो कि जब दुनिया तुम्हें याद करे, तो वह रोए। - अंत समय जब प्राण जाये
अंत समय जब प्राण जाये, सब धन यहीं रह जाए।
संग चले न कुछ भी, केवल पुण्य कमाए॥
🔹 अर्थ: मृत्यु के समय केवल अच्छे कर्म ही साथ जाते हैं, बाकी सब यही रह जाता है। - देखो भाई धरम का मोल
देखो भाई धरम का मोल, झूठा है सब जग का बोल।
सच्ची प्रीत वही है, जो ईश्वर के साथ हो॥
🔹 अर्थ: सच्चा धर्म वही है, जो ईश्वर के प्रति निष्ठा रखता है। - मन ना रंगाए रंगाए जोगी
मन ना रंगाए रंगाए जोगी, तन को क्या रंगाए।
भीतर प्रेम ना जागे, तो बाहर व्यर्थ दिखाए॥
🔹 अर्थ: बाहरी साधना से कुछ नहीं होगा, जब तक मन शुद्ध न हो। - मन लागो मेरे यार फकीरी में
मन लागो मेरे यार फकीरी में, दुनिया के काम न आय।
जो कुछ करम करै सो भोगै, तेरा किया तुझ पास आय॥
🔹 अर्थ: भक्ति का मार्ग त्याग और सादगी का मार्ग है। - कबीर के दोहे अमृत सम
कबीर के दोहे अमृत सम, जो पीवे सो तर जाए।
ज्ञान और भक्ति का जो संगम करे, वही मोक्ष पाए॥
🔹 अर्थ: कबीर के दोहों का सच्चा अर्थ समझकर आचरण करने से जीवन सफल हो सकता है।
कबीरदास जी के दोहों से हमें जीवन के कई संदेश मिलते हैं और जीवन को सही दिशा में ले जाने की प्रेरणा मिलती है। 🙏